इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की कमी पर केंद्र सरकार से जवाब तलब, जनहित याचिका पर हुई सुनवाई

प्रयागराज:  इलाहाबाद हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में जजों के रिक्त पद को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अधिवक्ता सतीश त्रिवेदी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी ने पक्ष रखा। साथ ही अधिवक्ता शाश्वत आनंद और सैयद अहमद फैजान भी याची की ओर से पेश हुए। इस मामले की सुनवाई 21 जुलाई को फ्रेश केस के तौर पर टॉप 10 मामलों में की जाएगी। मामले की सुनवाई जस्टिस वीके बिड़ला और जस्टिस जितेंद्र कुमार सिन्हा की बेंच ने सुनवाई की।

हाईकोर्ट में न्यायिक रिक्तियों को लेकर दाखिल की गई पीआईएल पर सुनवाई हुई। तर्क दिया गया कि देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट में मुकदमों के बढ़ते अंबार के बावजूद यहां पर जजों के बड़ी संख्या काफी कम है। जनहित याचिका में कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 11.5 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। हाईकोर्ट की कार्यशील क्षमता केवल 54 फीसदी पर है। याचिका में जजों के रिक्त पदों को भरने के लिए समयबद्ध, पारदर्शी और उत्तरदायी तंत्र की मांग की गई।

यूपी की जनसंख्या के अनुपात में जजों की स्वीकृत संख्या बढ़ाने की भी अपील की गई। जनवरी 2025 में जब यह याचिका दायर हुई थी, तब हाईकोर्ट में मात्र 79 न्यायाधीश कार्यरत थे, जो कुल 160 जजों की स्वीकृत संख्या का 49 फीसदी था। हालांकि जजों की संख्या अब बढ़कर 87 हो गई है, लेकिन इसके बावजूद हाईकोर्ट केवल 54 फीसदी कार्यक्षमता पर संचालन कर रहा है।

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