गत 11 वर्ष में जम्मू-कश्मीर कितना बदला? 2010 में पथराव के कारण 6200 घायल

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार 11 साल पूरे कर चुकी है। पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर में भी कई बड़े बदलाव हुए हैं। 2004-2014 तक जम्मू कश्मीर में आतंक एवं तोड़फोड़ की 7217 घटनाएं हुई थी। 2014-2024 के बीच में 2242 घटनाएं हुई। इनमें 69 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। 2004-2014 तक जम्मू कश्मीर में उक्त घटनाओं के चलते 2829 मौतें हुई। 2014-2024 के बीच में 920 मौतें हुई। इनमें 68 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। नागरिकों की मृत्यु की बात करें तो यह संख्या 2004-2014 के बीच में 1769 रही थी। 2014-2024 के बीच में 344 मौतें हुई। इनमें 81% की कमी आ गई। 2010 में पथराव की 2654 घटनाएं हुई थी। इनमें 6200 से ज्यादा सिविल व सुरक्षा बलों के व्यक्ति घायल हुए। 2024 में पथराव का एक भी मामला नहीं हुआ।

केन्द्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब पीएम मोदी ने देश की बागडोर संभाली, तब देश में पॉलिसी पैरालिसिस था। न नीतियां थीं, न नेतृत्व था और सरकार में घोटाले चरम पर थे। अर्थव्यवस्था जर्जर और शासन व्यवस्था दिशाहीन थी। जनसेवा के 11 वर्ष में ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ से देश के विकास की स्पीड और स्केल दोनों को बदला गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, किसानों, महिलाओं, पिछड़ों, दलितों और वंचितों को शासन के केंद्र में लाए और तुष्टीकरण की जगह सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की कार्य संस्कृति बनाई।

अमित शाह ने कहा कि 11 वर्ष जनसेवा के में राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में भी मील का पत्थर सिद्ध हुए हैं। नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति की स्थापना हुई है, भारत अब आतंकी हमलों का जवाब आतंकियों के घर में घुस कर देता है। यह मोदी सरकार में भारत की बदलती तस्वीर को दर्शाता है। मोदी 3.0 में नया भारत रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म की शक्ति से विकसित और आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। देशवासियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाकर हर क्षेत्र में नंबर 1 भारत बनाने की यह यात्रा ऐसे ही जारी रहेगी।

2004-2014 के बीच में जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के 1060 जवानों/अधिकारियों की मौत हुई। 2014-2024 के बीच में यह आंकड़ा 576 पर पहुंच गया। इस आंकड़े में 46% की कमी आ गई। जम्मू कश्मीर में 2010 के दौरान स्टोन पेल्टिंग यानी पत्थराव की 2654 संगठित घटनाएं हुई थी। 2024 में यह संख्या जीरो थी। 2010 के दौरान 132 संगठित हड़तालें हुई। 2024 में यह आंकड़ा शून्य पर था। 2010 में स्टोन पेल्टिंग में 112 नागरिकों की मौत हो गई। 2024 में यह संख्या जीरो थी।

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