गोलियां लगीं फिर भी नक्सलियों से लड़ते रहे, शौर्य चक्र से सम्मानित सीआरपीएफ जवानों की वीरता की कहानी

सीआरपीएफ के कोबरा कमांडों ने नक्सल विरोधी अभियानों में जबरदस्त वीरता का प्रदर्शन किया। इसके चलते गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुए वीरता पुरस्कार समारोहों में सात कोबरा कमांडों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में इन जवानों ने गजब की बहादुरी और जीवटता दिखाते हुए नक्सलियों के किले को भेद दिया। जवानों की इस बहादुरी का ही नतीजा है कि नक्सली अब अपने गढ़ में ही घिर गए हैं, जिससे जल्द नक्सलवाद के खात्मे की उम्मीद बढ़ गई है।
नक्सलियों के गढ़ को भेदा
सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन 201 के कॉन्सटेबल पवन कुमार और कॉन्सटेबल देवन सी को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। दोनों जवान छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के गढ़ में नया बेस स्थापित करने की कोशिश के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन इनकी कोशिशों से नक्सलियों के पैर उखड़ गए। गुरुवार को दोनों जवानों के परिजनों को शौर्य चक्र दिए गए। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में टेकलगुडियम नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन 201 को 150वीं बटालियन के साथ इस जगह सुरक्षाबलों का फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस बनाने का लक्ष्य दिया गया।
ऑपरेशन के दौरान हुए बलिदान
30 जनवरी 2024 को ऑपरेशन के दौरान कॉन्स्टेबल पवन कुमार और अन्य जवान नक्सलियों द्वारा की जा रही भारी गोलीबारी में फंस गए। इस दौरान नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के खिलाफ ग्रेनेड लॉन्चर और संशोधित मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया, लेकिन जवानों ने गजब की बहादुरी दिखाते हुए पीछे हटने से इनकार कर दिया। ऑपरेशन के दौरान पवन कुमार और देवन सी ने अपनी जान की परवाह न करते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया।