बांस से बने ‘कंपोजिट पैनल’ से तैयार होंगे सैन्य बंकर! आईआईटी-गुवाहाटी ने किया ये कारनामा

गुवाहाटी: गुवाहाटी स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के शोधकर्ताओं ने बांस के बने ‘कंपोजिट पैनल’ विकसित किए हैं, जो सैन्य रक्षा स्थलों और बंकरों के निर्माण में बेहद ही कारगर साबित होंगे। यह पैनल पारंपरिक लकड़ी, लोहे और अन्य धातुओं की जगह लेंगे। संस्थान के अधिकारियों के अनुसार बांस मिश्रित पदार्थों में धातु घटकों के बराबर लचीलापन है और ये बुलेटप्रूफ भी हैं। फिलहाल शोधकर्ताओं द्वारा विकसित ‘कंपोजिट पैनल’ का परीक्षण भारतीय सेना कर करी है।

आईआईटी-गुवाहाटी की स्टार्ट-अप कंपनी ‘एडमेका कंपोजिट प्राइवेट लिमिटेड’ ने प्रयोगशाला स्तर पर बांस से बने मिश्रित घटकों का निर्माण कर उनके यांत्रिक गुणों का परीक्षण किया है। आईआईटी-गुवाहाटी की प्रोफेसर पूनम कुमारी ने बताया कि पेड़ों की कटाई पर बढ़ते प्रतिबंधों और हरित विकल्पों के उद्देश्य से आईआईटी-गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने बांस से बनी मिश्रित सामग्री को विकल्प के रूप में तलाशा।

शोधकर्ताओं की टीम ने पहली बार बांस की पट्टियों और ‘एपॉक्सी’ रॉल का उपयोग कर ‘आई-सेक्शन बीम’ और ‘फ्लैट पैनल’ जैसे छह-फुट संरचनात्मक घटक विकसित किए। इनमें परंपरागत ग्लास फाइबर और कार्बन फाइबर की तरह ही मजबूती और वजन झेलने की क्षमता है। इनका इस्तेमाल एयरोस्पेस, सिविल और नौसेना क्षेत्रों में किया जा सकता है।

200 किग्रा के वजन सह सकते हैं, बुलेट प्रूफ परीक्षण में भी सफल
प्रोफेसर ने बताया कि बांस चार से पांच वर्ष में काफी बड़ा हो जाता है, जबकि साल या सागौन जैसे पारंपरिक पेड़ लगभग 30 साल में बढ़ते हैं। यह हल्का, पर्यावरण के अनुकूल होता है। कुमारी ने बताया कि बांस का उपयोग कर तैयार किए गए ‘सैंडविच कंपोजिट ब्लॉक’ 200 किलोग्राम तक के भार सहन कर सकते हैं और इनका ‘बुलेट प्रूफ’ परीक्षण भी हो चुका है। कुमारी ने बताया कि अनुसंधान दल अब निर्माण और रक्षा क्षेत्रों में वाणिज्यिक उपयोग के लिए बांस से बने इन कंपोजिट पैनल की मजबूती को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।

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