‘आकाशतीर’ प्रणाली ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखाया जलवा, अब डीआरडीओ के प्रमुख ने इसके बारे में यह कहा

नई दिल्ली;  भारत के एक शीर्ष रक्षा वैज्ञानिक ने विश्वास जताया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी रूप से विकसित ‘आकाशतीर’ वायु रक्षा प्रणाली की सफलता इसके प्रति अन्य देशों की भी रुचि बढ़ाएगी। पूरी तरह से स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण व रिपोर्टिंग प्रणाली ‘आकाशतीर’, पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों के विरुद्ध चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की नई युद्ध क्षमताओं की अदृश्य शक्ति के रूप में उभरी है।

रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख समीर वी कामत ने गुरुवार को पीटीआई से बातचीत में कहा, “निश्चित रूप से, हमारी वायु रक्षा प्रणाली ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। मुझे यकीन है कि अन्य देश भी इसमें रुचि लेंगे।” डीआरडीओ के अध्यक्ष ने रक्षा क्षेत्र में भारत के ‘आत्मनिर्भर’ होने की दिशा में आगे बढ़ने के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि हालांकि पर्याप्त प्रगति हुई है, लेकिन पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमने एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्तर हासिल कर लिया है, लेकिन हमें अभी भी कुछ काम करना है। और मुझे यकीन है कि आने वाले वर्षों में हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएंगे।” कामत ने नागपुर की यात्रा के दौरान भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी के भविष्य के बारे में आशा व्यक्त की, जहां उन्होंने ड्रोन, मिसाइल और रॉकेट के निर्माण पर केंद्रित सुविधाओं का दौरा किया।

‘आकाशतीर’ प्रणाली विभिन्न रडार प्रणालियों, सेंसरों और संचार प्रौद्योगिकियों को एकल, मोबाइल, वाहन-आधारित ढांचे में एकीकृत करके दुश्मन के विमानों, ड्रोनों और मिसाइलों का पता लगाने, उन पर नज़र रखने और उन पर हमला करने में सक्षम बनाती है, जिससे शत्रुतापूर्ण वातावरण में इसे संभालना आसान हो जाता है।

इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कि क्या भविष्य के संघर्षों में पारंपरिक हथियार पीछे छूट जाएंगे, क्योंकि युद्ध ऐसे क्षेत्रों में स्थानांतरित हो जाएगा जहां ड्रोन और सिग्नल जैमिंग केंद्रीय भूमिका में होंगे, कामत ने कहा कि भविष्य के युद्ध में पारंपरिक उपकरणों को ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ मिश्रित किया जाएगा।

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