ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के कब्जे से जवान की रिहाई में होगी देरी? मीटिंग के लिए तैयार नहीं रेंजर्स

पाकिस्तान में स्थित आतंकी कैंपों पर भारत की स्ट्राइक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद क्या पाकिस्तान की हिरासत से अब बीएसएफ जवान की रिहाई में देरी होगी। बीएसएफ द्वारा रोजाना ही अपने जवान की रिहाई का प्रयास किया जाता है, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स अब कोई जवाब ही नहीं दे रहे। शुरुआती सप्ताह में करीब आधा दर्जन मीटिंग हुई थी। उसके बाद से जब भी फ्लैग मीटिंग के लिए बीएसएफ, जिस प्वाइंट पर सीटी बजाती है या झंडा दिखाती है तो पाकिस्तानी रेंजर्स वहां नहीं पहुंचते। सूत्रों के मुताबिक, रेंजर्स की तरफ से अब यह मीटिंग केवल तभी होगी, जब पाकिस्तानी रेंजर्स के शीर्ष मुख्यालय से कोई आदेश आएगा।
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन बाद पाकिस्तान में स्थित आतंकी कैंपों पर स्ट्राइक की है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान के भीतर 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाले आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’, ‘जैश-ए-मोहम्मद’ और ‘हिज्बुल मुजाहिदीन’ के 9 ठिकानों को तबाह कर दिया है। दर्जनों आतंकियों और उनके परिजनों के मारे जाने की बात कही जा रही है। दूसरी तरफ पंजाब के फिरोजपुर में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर गलती से पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश करने वाले बीएसएफ जवान पीके साहू को वहां के रेंजर्स ने अपनी हिरासत में ले रखा है। अब पाकिस्तानी रेंजर्स, बीएसएफ जवान की रिहाई को लेकर कुछ नहीं बोल रहे हैं।
जवान की सकुशल रिहाई के लिए बीएसएफ द्वारा लगातार प्रयास जारी है। अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर बीएसएफ, रोजाना दो से तीन बार सीटी बजाकर या झंडा दिखाकर पाकिस्तानी रेंजर्स को बातचीत का सिग्नल भेजती है। कई बार फ्लैग मीटिंग भी हो चुकी है। जवान की रिहाई के लिए सभी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।
बीएसएफ के सूत्र बताते हैं कि इस मामले में पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ करीब आधा दर्जन मीटिंग हुई थी। इसके बावजूद जब मामले का कोई हल नहीं निकला तो बीएसएफ की तरफ से रेंजर्स को सीनियर कमांडर स्तर की मीटिंग के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया। बातचीत का प्रयास अमूमन रोजाना ही किया जाता है। रेंजर्स की तरफ अब कहा गया है कि यह मीटिंग केवल तभी होगी, जब शीर्ष मुख्यालय से कोई आदेश मिलेगा। इसके बाद से रेंजर्स वहां दिखाई नहीं पड़े। हालांकि बीएसएफ रोजाना ही बातचीत करने का प्रयास करती है। अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ गई है। ऐसे में बीएसएफ जवान की रिहाई में देरी हो सकती है। पाकिस्तानी रेंजर्स के लिए लंबे समय तक बीएसएफ जवान को अपने कब्जे में रखना संभव नहीं होगा।