गवाहों के बयान कॉपी-पेस्ट करने पर बॉम्बे हाईकोर्ट नाराज, कहा- यह न्याय प्रणाली के लिए खतरा

मुंबई: आपराधिक मामलों में चार्जशीट तैयार करते समय गवाहों के बयान कॉपी-पेस्ट करने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस जांच अधिकारियों द्वारा गवाहों के बयानों की नकल करने को न्याय प्रणाली के लिए खतरा बताया। पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस खतरनाक संस्कृति पर पुलिस विभाग को निर्देश जारी करे।
औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति संजय देशमुख की पीठ ने एक आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान चार्जशीट को देखा तो गवाहों के बयान इतने समान थे कि पैराग्राफ भी एक ही शब्दों से शुरू होता और एक ही शब्दों पर समाप्त हो रहा था। पीठ ने कहा कि यदि पुलिस गंभीर मामलों में भी इस तरह से लापरवाही बरत रही है तो यह आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि इसका स्वत: संज्ञान लिया जाए और इस बात पर विचार किया जाए कि जांच अधिकारियों के ऐसे कॉपी-पेस्ट बयान दर्ज करने से क्या कमियां या कठिनाइयां होती हैं? पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह पुलिस अधिकारियों के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश जारी करे कि बयान किस प्रकार दर्ज किया जाना चाहिए।
17 वर्षीय युवक को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर कुछ व्यक्तियों लोगों की ओर से दायर याचिका पर पीठ सुनवाई कर रही थी। चार्जशीट देखने के बाद पीठ ने पाया कि गंभीर अपराध में भी जांच अधिकारी ने गवाहों के बयानों को शब्दशः कॉपी-पेस्ट किया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यहां तक कि पैराग्राफ भी उन्हीं शब्दों से शुरू होते हैं और उन्हीं शब्दों पर खत्म होते हैं। कॉपी-पेस्ट बयानों की संस्कृति खतरनाक है और कुछ मामलों में अनावश्यक रूप से आरोपी को लाभ पहुंचा सकती है। ऐसी परिस्थितियों में वास्तविक मामले की गंभीरता खत्म हो सकती है। अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या पुलिस ने गवाहों को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया भी था?