‘भारत-पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत को बढ़ावा देना चाहता है US’, अमेरिकी विदेश मंत्रालय का बयान

अमेरिका ने कहा कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत को बढ़ावा देना चाहता है। यह बयान राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप की उस टिप्पणी से उलट है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह दोनों देशों के साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालेंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘देखिए, हमें जिसे देखकर सबसे ज्यादा खुशी हो रही है, वह संघर्ष विराम है। यही बात हम पिछले कुछ दिनों से कहते आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत हो और हम उसे बढ़ावा देना चाहते हैं। इस पर हमारा रुख स्पष्ट रहा है।’ उन्होंने कहा, अगर थोड़ा पीछे जाएं… तो राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) शांति के समर्थक हैं। हम शांति की दिशा में हुई प्रगति का स्वागत करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि संघर्षविराम बना रहेगा। राष्ट्रपति ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की भी सराहना की है कि उन्होंने शांति का रास्ता चुनकर समझदारी और साहस दिखाया।
चार दिनों तक चले सैन्य संघर्ष के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनी। ट्रंप ने कई बार दावा किया कि है कि अमेरिका ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच यह संघर्षविराम करवाने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई। भारत सरकार के सूत्रों ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच यह सहमति बनी कि जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को तुरंत रोका जाए। सूत्रों ने यह भी साफ किया कि इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था।
पिगॉट ने एक सवाल के जवाब में कहा, देखिए, हमें फिर यह देखकर खुशी हो रही है कि संघर्षविराम हुआ है और इसी पर हमारा फोकस है। हम चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत हो। राष्ट्रपति ने यह साफ कहा है कि उन्होंने दोनों प्रधानमंत्रियों की सराहना की है, क्योंकि उन्होंने शांति का रास्ता चुना है।
ट्रंप ने 10 मई को कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर समाधान निकालना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि अमेरिका ने इन दोनों देशों को ऐतिहासिक और साहसी संघर्षविराम के फैसले तक पहुंचने में मदद की। वहीं दूसरी ओर, भारत का हमेशा से यह स्पष्ट रुख रहा है कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है, और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई जगह नहीं है। भारत यह भी कहता है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश हैं और हमेशा भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा रहेंगे।