राजद-कांग्रेस में सीट बंटवारे पर तनाव, राहुल गांधी-तेजस्वी ही लेंगे अंतिम फैसला

बिहार में राजद-कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर तनाव पैदा हो गया है। कांग्रेस एक बार फिर पिछली बार की तरह ज्यादा सीटों पर दावेदारी कर हिंदी पट्टी के इस महत्त्वपूर्ण राज्य में अपनी ‘दमदार’ उपस्थिति बनाए रखना चाहती है, जबकि राजद कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने की ‘गलती’ नहीं करना चाहती। पिछले सप्ताह महागठबंधन नेताओं की हुई बैठक में केवल जिताऊ चेहरों पर दांव लगाने पर सहमति बनी थी, और सभी घटक दलों से ऐसे चेहरों और सीटों की पहचान करने को कहा गया था, लेकिन इसके एक सप्ताह के अंदर ही महागठबंधन के दलों में सीटों पर तनाव गहरा गया है।
राजद सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और केवल 19 पर सफलता हासिल की थी। कांग्रेस के कम बेहतर स्ट्राइक रेट का गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा था और वह सत्ता में आते-आते रह गई थी। लेकिन इस बार भी वह अपना दावा कम करने के लिए तैयार नहीं है। सूत्रों के अनुसार, पिछली बार के कमजोर स्ट्राइक रेट के बाद भी कांग्रेस ने इस बार सीटों पर दावेदारी बढ़ा दी है। कांग्रेस इस बार बिहार में अपने लिए कम से कम सौ सीटों पर दावेदारी पेश कर रही है।
जानकारी के अनुसार, कांग्रेस का मानना है कि इस बार राहुल गांधी के बदले रुख के कारण राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की छवि मजबूत हुई है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी के दबाव के कारण ही केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराने पर बाध्य हुई है। नेताओं के अनुसार, जातियों के मामले में संवेदनशील राज्य बिहार में जातिगत जनगणना एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। एनडीए जातिगत जनगणना कराने का श्रेय लेने की कोशिश कर सकती है, जबकि महागठबंधन इसे अपनी सफलता बताने का प्रयास करेगा।
कांग्रेस नेता यह भी मानते हैं कि एक दलित के रूप में मल्लिकार्जुन खरगे की नियुक्ति और बिहार में दलित विधायक राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से राज्य के दलितों के वोटों में सेंध लगाई जा सकती है। इस मामले में भी महागठबंधन को कांग्रेस ही लीड करेगी और राहुल गांधी की बड़ी रैलियों के जरिए यह बात जनता के बीच स्थापित करने में मदद मिलेगी।