हेडफोन और मोबाइल का अधिक इस्तेमाल, कम उम्र में ही कानों में गूंज रही घंटी की आवाज
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हाथरस: हेडफोन और मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से कम उम्र में ही लोग टिनिटस का शिकार हो रहे हैं। जिला अस्पताल के ईएनटी विभाग में रोजाना इस समस्या से पीड़ित करीब चार मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। चिकित्सक इन मरीजों को दवा के साथ हेडफोन का इस्तेमाल न करने और हैंड फ्री करके मोबाइल फोन का प्रयोग करने की सलाह दे रहे हैं।
वर्तमान में मोबाइल फोन जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। युवा मोबाइल में हेडफोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। यही कारण है कि कम उम्र में ही लोग टिनिटस नाम की बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी में कान में घंटी बजने जैसी आवाज आती है। यह आवाज बाहरी नहीं होती है। अधिकांशत: यह समस्या अस्थायी होती है। कुछ मामलों में यह समस्या लंबे समय तक रह सकती है। इससे मनुष्य के सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है।
कई मामलों में यह आवाज इतनी तेज हो जाती है कि किसी भी विषय पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। टिनिटस दो प्रकार का होता है। पहला सब्जेक्टिव टिनिटस, जिसे मरीज सुन सकता है। दूसरा ऑब्जेक्टिव टिनिटस, जिसे चिकित्सक परीक्षण के बाद ही बता पाते हैं।
लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहने से कान में घंटी जैसी आवाज आना टिनिटस की परेशानी है। इससे मरीज की सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है। इस परेशानी से बचने के लिए तेज आवाज के संपर्क में रहने से बचना चाहिए। हैंड फ्री करके मोबाइल फोन का प्रयोग करना चाहिए। परेशानी होने पर योग्य चिकित्सक का परामर्श लेना चाहिए।
टिनिटस के लक्षण
कान में किसी तरह की आवाज या सीटी बजना। कान में झनझनाहट होना। कान में आने वाली आवाज के कारण किसी विषय पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना। कान में आने वाली आवाज का कम-ज्यादा होना।
टिनिटस के कारण
कान में मैल। लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहना। मोबाइल के हेडफोन का अत्यधिक प्रयोग करना। कान मेें मवाद आदि टिनिटस के प्रमुख कारण हैं।
बचाव के उपाय
तेज आवाज के संपर्क में आने से बचें। हेडफोन का इस्तेमाल न करें। हैंड फ्री करके मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें। रात को सोते समय मोबाइल को अलग रखकर साएं। पर्याप्त नींद लें। व्यायाम करें। तनाव से बचें।