613 मेडल जीतने वाले भारतीय दल को मिले ₹4.38 करोड़, गृह मंत्री ने थपथपाई पीठ

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अमेरिका के अलाबामा प्रांत के बर्मिंघम में आयोजित 21वें विश्व पुलिस एवं अग्निशमन खेल-2025 में हिस्सा लेकर लौटे भारतीय पुलिस एवं अग्निशमन दल के अभिनंदन समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा- 21वें विश्व पुलिस एवं अग्निशमन खेल में भारतीय दल ने 613 मेडल जीतकर भारत को गौरवान्वित किया है। अमित शाह ने कहा, भारतीय दल को 4 करोड़ 38 लाख 85 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई है। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि अखिल भारतीय पुलिस बल नियंत्रण बोर्ड के अधीन सभी पुलिस बलों से कोई न कोई खिलाड़ी अगले विश्व पुलिस एवं अग्निशमन खेल में अवश्य हिस्सा लें।

केंद्रीय गृह मंत्री ने अगला विश्व पुलिस एवं अग्निशमन खेल भारत में होगा। हमारी हिस्सेदारी सर्वसमावेशी होनी चाहिए। सभी दलों को कम से कम तीन मेडल जीतने का लक्ष्य रखना चाहिए। ऐसा लक्ष्य रखने पर 613 मेडल जीतने का रिकॉर्ड स्वयं ही टूट जाएगा। पहले कभी पुलिस एवं अग्निशमन खेल को देश में बहुत महत्व नहीं दिया जाता था। हिस्सेदारी की दृष्टि से यह ओलंपिक्स और राष्ट्रमंडल खेलों के बाद विश्व का सबसे बड़ा खेल आयोजन है। इन खेलों में लगभग 10 हजार खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं, जिसकी वजह से इन खेलों में देश का अच्छा प्रदर्शन 140 करोड़ देशवासियों के लिए बहुत ही गर्व की बात है। अब हमारा ध्यान 2029 के विश्व पुलिस एवं अग्निशमन खेल पर होना चाहिए। गुजरात में वर्ष 2029 में आयोजित होने वाले ‘विश्व पुलिस एवं फायर खेल’ में अर्जुन की तरह ही एक लक्ष्य साधकर हर खिलाड़ी पदक जीतने के लिए आगे बढ़े।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आगामी विश्व पुलिस एवं अग्निशमन खेल गुजरात के अहमदाबाद, गांधीनगर और केवडिया में आयोजित किए जाएंगे। इन खेलों में भारतीय खिलाड़ी ऐसा प्रदर्शन करें ताकि चर्चा हो कि भारत में खेलों में बहुत संभावना है। मोदी सरकार की ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाड का आयोजन भारत में कराने की कोशिश, जिससे खेल जनता का स्वभाव बने। वर्ष 2036 के ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए हम दावेदारी करने वाले हैं, कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन के लिए दावेदारी पेश कर चुके हैं और एशियाड के लिए भी फ़िर से दावेदारी कर चुके हैं।

इन खेलों का आयोजन भारत में कराने की कोशिशों का मकसद यह है कि खेल हमारे देश की जनता और देश के विभिन्न वर्गों, जैसे पुलिस और फायर ब्रिगेड, का स्वभाव बने। उन्होंने यह भी कहा कि खेल जीवन का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो बच्चा खेलता नहीं है वह हार से हताश हो जाता है और जो बच्चा हार कर जीत का संकल्प नहीं लेता, उसे जीतने की आदत नहीं पड़ती। सीखने की एक ही जगह है – मिट्टी, खेल का मैदान और खेल के मैदान से ही हार को स्वीकार करने की आदत और जीत को पाने का जुनून विकसित होता है। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे हमारे युवाओं का यह स्वभाव बनना चाहिए।

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