PM मोदी ने खारघर में इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन किया, कहा- हमारी सरकार सेवा भावना के साथ काम कर रही

मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन किया। इस दौरान महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और भाजपा सांसद हेमा मालिनी भी उपस्थित थीं। इस्कॉन मंदिर के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित भी किया। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार सेवा भावना के साथ काम कर रही है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “ज्ञान और भक्ति की इस महान भूमि पर इस्कॉन के प्रयास से श्री श्री राधा मदनमोहनजी मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस दिव्य उद्घाटन में भूमिका निभाने का मौका मिल रहा है। मैं अभी देख रहा था कि श्री श्री राधा मदनमोहन जी मंदिर परिषद की जो रूपरेखा है, इस मंदिर के पीछे जो विचार है, इसका जो स्वरूप है, उसमें अध्यात्म और ज्ञान की सम्पूर्ण परंपरा के दर्शन होते हैं। मंदिर में ईश्वर के विविध स्वरूपों के दर्शन होते हैं।”

पीएम मोदी ने कहा, “मुझे विश्वास है कि यह मंदिर परिसर आस्था के साथ-साथ भारत की चेतना को भी समृद्ध करने का एक पुण्य केंद्र बनेगा। मैं इस पुनीत कार्य के लिए इस्कॉन के सभी संतों और सदस्यों को और महाराष्ट्र के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज इस मौके पर मुझे परम श्रद्धेय गोपालकृष्ण गोस्वामी महाराज का भावुक स्मरण भी हो रहा है। इस प्रोजेक्ट में उनका विजन जुड़ा हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनकी अगाध भक्ति का आशीर्वाद जुड़ा हुआ है। आज वो भौतिक शरीर से भले ही यहां न हो, लेकिन उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति हम सब महसूस कर रहे हैं।”

इस्कॉन के अनुयायी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की डोर से बंधे हैं
प्रधानमंत्री ने बताया कि दुनियाभर में फैले इस्कॉन के अनुयायी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की डोर से बंधे हैं। उन सबको एक-दूसरे से कनेक्ट रखने वाला एक और सूत्र है, जो चौबीसों घंटे हर भक्त को दिशा दिखाता रहता है। यह श्रील प्रभुपाद स्वामी के विचारों का सूत्र है। उन्होंने उस समय वेद-वेदांत और गीता के महत्व को आगे बढ़ाया जब देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा था। इसके साथ ही उन्होंने भक्ति वेदांत को जनसामान्य की चेतना से जोड़ने का अनुष्ठान किया।

पीएम मोदी ने कहा, “आज दुनिया के हर कोने में करोड़ों लोगों को उनकी तपस्या का प्रसाद मिल रहा है। श्रील प्रभुपाद स्वामी की सक्रियता, उनके प्रयास आज भी हमें प्रेरित करते हैं। भारत केवल भौगोलिक सीमाओं में बंधा भूमि का एक टुकड़ा मात्र नहीं है। भारत एक जीवंत धरती है, एक जीवंत संस्कृति है और इस संस्कृति की चेतना है- यहां का आध्यात्म। इसलिए, अगर भारत को समझना है, तो हमें पहले आध्यात्म को आत्मसात करना होता है।”

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