कर्नाटक के पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी समेत तीन को सात साल की सजा; CBI ने हिरासत में लिया

बंगलूरू: कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी और तीन अन्य लोगों को एक विशेष अदालत ने सात साल की सजा सुनाई है। यह सजा उन्हें ओबुलापुरम अवैध खनन केस में दी गई है। वहीं कोर्ट का फैसला आते ही सीबीआई की टीम ने जनार्दन रेड्डी और बाकी दोषियों को अपनी हिरासत में ले लिया। यह मामला सालों पुराना है, जिसमें जनार्दन रेड्डी और उनके साथियों पर आरोप था कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर के गैरकानूनी तरीके से खनन किया और करोड़ों रुपये का नुकसान सरकार को पहुंचाया।
पूर्व मंत्री और उनके साथियों ने कानून तोड़ा- कोर्ट
इस केस में जांच एजेंसियों ने बताया कि जनार्दन रेड्डी की कंपनी ने सीमा के बाहर जाकर भी खनन किया और इसके लिए जरूरी अनुमति नहीं ली थी। इससे पर्यावरण को भी भारी नुकसान हुआ। अब कोर्ट ने माना कि पूर्व मंत्री और उनके साथियों ने कानून तोड़ा और इसलिए उन्हें सात साल की कैद और जुर्माना भी भरना होगा।
जी. जनार्दन रेड्डी पर क्या है आरोप?
पूर्व मंत्री रेड्डी पर भारत में घोटाला कर उन पैसों का कई देशों में निवेश करने का आरोप है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पांच सितंबर 2011 को रेड्डी और उनके रिश्तेदार बी.वी श्रीनिवास रेड्डी को बेल्लारी से गिरफ्तार किया था। श्रीनिवास रेड्डी ओबलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) के प्रबंध निदेशक थे। इस कंपनी पर खनन पट्टे के सीमांकन को बदलने और बेल्लारी आरक्षित वन क्षेत्र में अवैध खनन करने का आरोप है।
पूर्व मंत्री समेत कितने आरोपी?
बता दें कि, मामले में बी.वी. श्रीनिवास रेड्डी, गली जनार्दन रेड्डी, ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी, पूर्व मंत्री के निजी सहायक मेफाज अली खान, खान विभाग के तत्कालीन निदेशक वी.डी. राजगोपाल, पूर्व आईएएस कृपानंदम और तत्कालीन मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत और कुछ अन्य पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। वहीं इस मामले में 2022 में उच्च न्यायालय ने आईएएस अधिकारी श्रीलक्ष्मी को मामले से मुक्त कर दिया।