डॉक्टर नहीं लिख रहे दवाएं…हाथरस में दम तोड़ रहे जन औषधि केंद्र, नौ हुए बंद…

हाथरस: मरीजों को सस्ती दवाएं मिल सकें इसके लिए जनऔषधि केंद्र खोले गए थे। हाथरस में 16 केंद्र थे जिनमें से नौ केंद्र एक साल के भीतर बंद हो गए हैं। पांच केंद्र ऐसे हैं जो खर्च तक नहीं निकाल पा रहे हैं। केंद्र संचालकों का कहना है कि शुरूआत में तो चिकित्सक खूब दवाएं लिखते थे लेकिन अब जेनरिक दवाएं बहुत कम लिखी जा रही हैं। प्राइवेट डॉक्टर तो लिखते ही नहीं सरकारी अस्पताल के पर्चे पर भी यह सस्ती दवा अपनी जगह नहीं बना पा रही है।
प्रधानमंत्री जन औषधि योजना की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। इसका लक्ष्य लोगों को सस्ती दर पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराना था। जानकारों का कहना है कि इन जेनरिक दवाओं का असर ब्रांडेड दवाओं के बराबर ही होता है। जिले में कुल 16 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए थे। लेकिन अब लगातार बंद हो रहे हैं। क्योंकि अधिकांश किराये की दुकान में खोले गए।
किसी का किराया पांच हजार महीना था तो किसी का 7000 है। लेकिन अब तो पूरे महीने में इतने की दवाएं तक नहीं बिक रही हैं। केंद्र संचालकों का कहना है कि एक मुश्किल यह भी है कि दवाएं खत्म होने पर बार-बार मांगने पर भी परियोजना से इनकी आपूर्ति समय से नहीं हो पाती। इस कारण कई बार ग्राहकों को मायूस लौटना पड़ता है।
दुकान पर अधिक बिक्री नहीं होती। समय से दवाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। इसके साथ ही क्षेत्र में अधिकांश प्रशिक्षित डॉक्टर हैं, जो अन्य मेडिकल स्टोर की दवाएं लिखते हैं। मेडिकल स्टोर वाले उन्हें उनकी लिखी दवा बिकने पर कमीशन भी देते हैं।