अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में नाटो सदस्य; रक्षा खर्च में भारी वृद्धि पर बनी सहमति

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बाद उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों ने कहा है कि वे रक्षा खर्च में भारी वृद्धि पर सहमत हैं। अमेरिका समेत 32 देशों के इस समूह का शिखर सम्मेलन नीदरलैंड के द हेग में आयोजित किया गया। इसमें शामिल नेताओं ने बुधवार को रक्षा खर्च में भारी वृद्धि पर सहमति जताने के अलावा किसी भी देश पर हमला होने की स्थिति में एक-दूसरे की मदद करने की ‘प्रतिबद्धता’ भी जताई। बता दें कि नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) में शामिल 32 देशों में अधिकांश यूरोप और उत्तरी अमेरिका के हैं।

रक्षा संबंधी जरूरतों पर सालाना जीडीपी का 5 प्रतिशत निवेश…
32 सदस्य देशों के नेताओं ने शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन कहा, नाटो के सहयोगी देश 2035 तक रक्षा और सुरक्षा संबंधी व्यय के साथ-साथ रक्षा संबंधी जरूरतों पर सालाना जीडीपी का 5 प्रतिशत निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसका मकसद हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक दायित्व का निर्वाह सुनिश्चित करना है।

NATO की निवेश प्रतिज्ञा: 2029 में प्रगति की निगरानी होगी
बता दें कि स्पेन ने पहले ही आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी थी कि वह रक्षा खर्च में बढ़ोतरी के लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकता। अन्य देशों ने भी इस पर आपत्ति जताई। हालांकि, निवेश प्रतिज्ञा में 2029 में प्रगति की निगरानी करने और रूस के कारण उत्पन्न सुरक्षा खतरे का पुनर्मूल्यांकन करने की बात कही गई है। इसमें खर्च की समीक्षा करने की बात भी शामिल है।

सामूहिक सुरक्षा गारंटी के प्रति ‘अडिग प्रतिबद्धता’
नाटो शिखर सम्मेलन के बाद सदस्य देशों के नेताओं ने नाटो की सामूहिक सुरक्षा गारंटी के प्रति ‘अडिग प्रतिबद्धता’ को भी रेखांकित किया। बयान में कहा गया, किसी एक सदस्य देश पर हमला सभी पर हमला माना जाएगा। बता दें कि शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने संदेह जताते हुए कहा था कि अमेरिका शायद ही अपने सहयोगियों की रक्षा कर सकेगा।

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