‘आधार, मतदाता और राशन कार्ड केवल पहचान के लिए मान्य’, चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर को सही ठहराया

नई दिल्ली :बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने है। इसके लिए राज्यभर की राजनीति में गर्माहट तेज है। हालांकि गर्माहट का एक और बड़ा कारण चुनाव आयोग की तरफ से मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर-2025) के फैसले को लेकर भी है। जहां विपक्षी दल लगातार से चुनाव आयोग के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में मंगलवार को चुनाव आयोग ने बिहार में चल रहे एआईआर-2025 को लेकर उठ रहे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर सफाई दी है।
अपने हलफनामें में चुनाव आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया चुनाव की पवित्रता बनाए रखने के लिए जरूरी है, क्योंकि इससे अयोग्य व्यक्तियों को मतदाता सूची से हटाया जाता है। आयोग ने बताया कि एसआईआर-2025 के दौरान आधार कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड जैसी पहचान से जुड़ी जानकारी का इस्तेमाल केवल पहचान स्थापित करने के लिए किया जा रहा है, नागरिकता या निवास प्रमाण के रूप में नहीं।
आधार से पहचान, नागरिकता नहीं
आयोग ने साफ किया कि आधार नंबर देना वैकल्पिक है और यह केवल पहचान के लिए लिया जा रहा है ना कि नागरिकता साबित करने के लिए। आधार अधिनियम, 2016 की धारा 9 के अनुसार, आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है। इसके साथ ही आयोग ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत का कोई भी नागरिक तभी वोट डाल सकता है जब वह 18 साल का हो और सामान्य रूप से उस क्षेत्र का निवासी हो। जो व्यक्ति इन योग्यताओं को पूरा नहीं करता, वह वोट का अधिकार नहीं रखता, इसलिए वह संविधान के अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता का अधिकार) और 21 (जीवन का अधिकार) के तहत कोई दावा नहीं कर सकता।
घर-घर जाकर फॉर्म भरवा रहे हैं बीएलओ
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं में से अब तक 7.11 करोड़ लोगों (90.12%) के फॉर्म भरवा लिए गए हैं। इस प्रक्रिया में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर पूर्व भरे हुए फॉर्म मतदाताओं को दे रहे हैं। आयोग ने कहा कि 94.68% मतदाता प्रक्रिया में शामिल हो चुके हैं। सिर्फ 0.01% लोग ऐसे हैं जिन्हें कई बार प्रयास के बाद भी नहीं पाया गया। अंत में चुनाव आयोग ने बताया कि 25 जुलाई 2025 तक शेष 5.2% मतदाताओं से फॉर्म भरवाने का काम पूरा कर लिया जाएगा।