इंडोनेशिया के जंगलों में आग लगाने के आरोप में 44 लोग गिरफ्तार, सरकार का सख्त एक्शन

इंडोनेशियाई पुलिस ने जंगलों और पीटलैंड (नमी वाली भूमि) में आग लगाने के आरोप में 44 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन आगजनी की घटनाओं के कारण वातावरण में जहरीला धुआं फैल रहा है, जिससे देश और पड़ोसी देशों में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी (बीएनपीबी) के प्रमुख सुहरयांतो ने बुधवार को बताया कि ये आग केवल सूखे की वजह से नहीं, बल्कि लोगों की तरफ से जानबूझकर लगाई गई है। उन्होंने कहा, ‘आशा है कि इन गिरफ्तारियों से लोगों को सबक मिलेगा और वे जमीन साफ करने के लिए आग लगाना बंद करेंगे।’

आरोपियों को हो सकती है 10 साल की सजा
इन 44 आरोपियों में एक महिला भी शामिल है। सभी को मंगलवार को रियाउ प्रांत की राजधानी पेकनबारू में मीडिया के सामने पेश किया गया। सभी को हथकड़ी पहनाई गई थी और वे नारंगी जेल की वर्दी में थे। सुहरयांतो ने कहा कि इन आरोपियों के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत मुकदमा चलेगा, जिसमें अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है। यह पहली बार नहीं है जब आगजनी के मामलों में लोगों को पकड़ा गया है। 2019 में भी पुलिस ने जंगल की आग से जुड़े 230 लोगों को गिरफ्तार किया था।

सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके
रियाउ प्रांत के रोकन हिलिर और रोकन हुलु जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां करीब 500 हेक्टेयर (1,235 एकड़) जंगल जल चुके हैं। घना धुआं इतना फैल गया है कि दृश्यता एक किलोमीटर से भी कम रह गई है। वहीं, सरकार ने आग बुझाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। मंगलवार से रियाउ प्रांत में बादलों पर नमक डालकर कृत्रिम बारिश कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जो 25 जुलाई तक जारी रहेगी। सुहरयांतो ने आम लोगों से अपील की है कि वे आग लगाने वालों की जानकारी सरकार को दें और इस मुहिम में सक्रिय भूमिका निभाएं।

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