कांग्रेस का आरोप- केंद्र ने तोड़-मरोड़ कर पेश की विश्व बैंक की रिपोर्ट, भारत में बढ़ रही असमानता

नई दिल्ली:  कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने रविवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने ‘भारत के लिए विश्व बैंक की पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ’ की रिपोर्ट को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। उन्होंने कहा कि गरीबी और असमानता अभी भी ‘गंभीर चिंता का विषय’ हैं, जिसमें 28.1 फीसदी भारतीय गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार समर्थक अब विश्व बैंक के आंकड़ों को इस तरह से पेश कर रहे हैं कि भारत दुनिया के सबसे समान समाजों में से एक है। इसे उन्होंने हकीकत से विपरीत बताया।

कांग्रेस ने एक्स पर पत्र का एक अंश साझा करते हुए लिखा, विश्व बैंक ने अप्रैल 2025 में भारत के लिए अपनी गरीबी और समानता पर रिपोर्ट जारी की थी। इसके तीन महीने बाद मोदी सरकार के समर्थक इस रिपोर्ट के आंकड़ों को तोड़-मरोड़कर यह दावा करने लगे हैं कि भारत दुनिया के सबसे बराबरी वाले समाजों में से एक है — जो कि हकीकत से बिल्कुल विपरीत है और गलत दावा है। हमने 27 अप्रैल 2025 को अपने बयान में विश्व बैंक की रिपोर्ट में उठाई गई कुछ अहम चिंताओं को उजागर किया था। ये चिंताएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं और इस रिपोर्ट को गंभीरता से समझे बिना कोई भी चर्चा अधूरी होगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने भारत में बढ़ती असमानता को लेकर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि 2023-24 में देश के शीर्ष 10 फीसदी आय वालों की कमाई सबसे निचले 10 फीसदी लोगों की तुलना में 13 गुना ज्यादा थी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि सरकारी आंकड़ों की खामियां गरीबी और असमानता की असली तस्वीर छिपा सकती हैं, जो नए गरीबी मानकों के इस्तेमाल पर और भी ज्यादा गंभीर साबित हो सकती है।

उन्होंने कहा, भारत में वेतन असमानता बहुत अधिक है। 2023-24 में शीर्ष 10% लोगों की औसत कमाई सबसे निचले 10 फीसदी लोगों की तुलना में 13 गुना ज्यादा थी। इसके अलावा, सैंपलिंग और डाटा सीमाओं के कारण सरकारी आंकड़ों में उपभोग से जुड़ी असमानता को कम आंका जा सकता है। पत्र में कहा गया है कि अगर हम गरीबी मापने के लिए 2017 की जगह 2021 का नया तरीका इस्तेमाल करें, तो गरीबी का असली स्तर ज्यादा निकलेगा। मतलब, नए तरीके से देखा जाए तो गरीबी की समस्या और भी ज्यादा बड़ी दिखेगी। रमेश ने कहा कि भारत में गरीबी और असमानता बहुत चिंता वाली हैं और गरीबी की दर 28.1 फीसदी है।

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