कौन हैं कोनेरू हम्पी? दूसरी बार जीता विश्व रैपिड शतरंज का खिताब, पिता के सपने को हकीकत में बदला

भारतीय ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी ने रविवार को दूसरी बार विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया। उन्होंने इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को हराकर खिताब अपने नाम किया। हम्पी ने इससे पहले 2019 में यह प्रतियोगिता जीती थी। भारत की यह नंबर एक महिला शतरंज खिलाड़ी चीन की जू वेनजुन के बाद एक से ज्यादा बार यह खिताब जीतने वाली दूसरी खिलाड़ी बनीं। वह ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला शतरंज खिलाड़ी हैं।

पिता के सपने को हकीकत में बदला
कोनेरू का जन्म 31 मार्च 1987 में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में हुआ था। उनके पिता अशोक कोनेरू भी शतरंज खिलाड़ी हैं। वह चाहते थे कि उनकी बेटी भी शतरंज खेले और विजेता बनें। यही वजह है कि उन्होंने अपनी बेटी का नाम भी हम्पी रखा, जिसका अर्थ होता विजयी होता है। अब हम्पी ने विश्व रैपिड चैंपियनशिप का खिताब जीतकर पिता का सपना पूरा कर दिया। वर्तमान में हम्पी ओएनजीसी में चीफ मैनेजर हैं और उनके पति अवनेश सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते हैं।

छोटी उम्र में जीते स्वर्ण
हम्पी को विश्व विजेता बनाने में उनके पिता अशोक कोनेरू का अहम योगदान रहा। बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी और हम्पी को शतरंज के गुर सिखाने लगे थे। छह वर्ष की उम्र से ही हम्पी ने खेल में रुचि लेना शुरु कर दिया था। पिता की मेहनत और अपने हुनर की बदौलत हम्पी ने सिर्फ नौ वर्ष की उम्र में शतरंज में तीन राष्ट्रीय स्तर के स्वर्ण मेडल अपने नाम कर लिए थे।

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