‘पाकिस्तान को एफएटीएफ ग्रे लिस्ट में वापस लाया जाना चाहिए’, असदुद्दीन ओवैसी ने फिर उठाई मांग

सऊदी अरब के रियाद में भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल एक के सदस्यों ने सऊदी अधिकारियों से मुलाकात की। जिसमें एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे। यह प्रतिनिधिमंडल भाजपा सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व में गया था। इस बैठक में भारत और पाकिस्तान के संबंधों, आतंकवाद और मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई।

‘फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाए पाकिस्तान’
वहीं इस बैठक के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने बताया कि सऊदी अरब में लगभग 27 लाख भारतीय काम करते हैं और वहां का भारतीय प्रवासी समुदाय मजबूत है। उन्होंने सऊदी अधिकारियों को बताया कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और भारतीय नागरिकों को निशाना बना रहा है। ओवैसी ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान को फिर से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला जाना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि 2018 में सऊदी अरब ने भारत का समर्थन किया था।

क्या है एफएटीएफ?
एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर नजर रखती है। किसी देश को ग्रे लिस्ट में डालने का मतलब होता है कि उस देश पर वित्तीय निगरानी बढ़ जाती है। 2018-2022 के बीच पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रहा था और उसे आर्थिक नुकसान भी हुआ था। भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है।

पहले बातचीत का नहीं निकला नतीजा- ओवैसी
इस बैठक में सऊदी अरब ने भारत से यह भी पूछा कि भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत का क्या रास्ता हो सकता है। इस पर ओवैसी ने कहा कि भारत ने पहले भी 26/11 मुंबई हमले और पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान से बातचीत की थी, लेकिन उसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला, उल्टा भारत को नुकसान ही हुआ।

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