‘जब पापा को टेस्ट से संन्यास के बारे में बताया तो…’, रोहित ने सुनाई भावुक कर देने वाली कहानी

भारतीय क्रिकेट के महान सलामी बल्लेबाजों में से एक रोहित शर्मा के इंग्लैंड दौरे से पहले टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने के फैसले ने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के खत्म होने के बाद सबसे लंबे प्रारूप में खराब फॉर्म में चल रहे रोहित ने टेस्ट क्रिकेट खेलते रहने की इच्छा जाहिर की थी। रोहित ने फॉर्म में वापसी के लिए रणजी ट्रॉफी भी खेले थे, लेकिन उन्होंने पिछले महीने अचानक टेस्ट से संन्यास लेने का फैसला किया, जिससे पूरे भारतीय क्रिकेट जगत को झटका लगा। रोहित के इस फैसले से न सिर्फ उनके फैंस निराश हुए, बल्कि उनके पिता भी निराश हुए। अब इसकी कहानी उन्होंने खुद बताई है।

मुंबई में चेतेश्वर पुजारा की पत्नी पूजा पुजारा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर्स वाइफ’ के विमोचन के दौरान बातचीत करते हुए रोहित ने खुलासा किया कि उनके पिता टेस्ट क्रिकेट को बेहद पसंद करते हैं। इसलिए टेस्ट से संन्यास का फैसला उनके पिता स्वीकार नहीं कर पाए थे। रोहित ने बताया, ‘मेरे पिता एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते थे। जैसा कि मैंने कहा, मेरी मां और मेरे पिता कई त्याग किए ताकि हम अपना जीवन अच्छे से जी सकें। लेकिन मेरे पिता हमेशा पहले दिन से टेस्ट क्रिकेट के प्रशंसक रहे हैं। उन्हें नए जमाने का क्रिकेट पसंद नहीं है। मुझे आज भी याद है कि जिस दिन मैंने वनडे में 264 रन बनाए थे। मेरे पिता की ओर से बस यही प्रतिक्रिया आई कि- ठीक है, अच्छा ही खेला। बहुत खूब। उनकी चेहरे पर कोई उत्तेजना नहीं थी। उन्होंने कहा वहां जाना महत्वपूर्ण है और यही सब बातें कहीं।’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं जब भी टेस्ट में 30, 40, या 50 या 60 रन बना लेता था तो वह मुझे इस बारे में हमेशा विस्तार से बात करते थे। टेस्ट के प्रति उनका इस तरह का प्यार था। और उन्होंने मुझे स्पष्ट रूप से देखा है कि मैं कैसे कैसे क्रिकेट में आगे बढ़ा हूं।’ रोहित ने बताया कि टेस्ट से संन्यास के बाद उनके पिता शुरू में काफी नाराज हुए। हालांकि, कुछ समय बाद उन्होंने रोहित के फैसला का समर्थन किया और शांत हुए और खुश हो गए।

रोहित ने बताया, ‘आप स्कूल क्रिकेट में खेलते हैं। इसके बाद आप अंडर 19, रणजी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी, ईरानी ट्रॉफी और इंडिया ए के लिए खेलते हैं। मैंने वह सब किया है। इसलिए उन्होंने मेरी यात्रा देखी है। यह सब खेलके मैंने भारतीय टीम में जगह बनाई। जाहिर है मेरे पिता ने मुझे लाल गेंद से खेलते हुए देखा है। इसलिए वह लाल गेंद के क्रिकेट की बहुत सराहना करते हैं। जाहिर है, जब मैंने संन्यास की घोषणा की तो वह थोड़ा निराश थे, लेकिन फिर बाद में खुश भी हुए। वह मेरे पिता हैं और मैं आज जहां भी हूं, उन्होंने स्पष्ट रूप से एक बड़ी भूमिका निभाई है। उनकी मदद के बिना, यह कभी संभव नहीं होता।’

Related Articles

Back to top button