देश से बड़ा कोई नहीं’, अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के बयान पर नारायण राणे ने दी नसीहत

मुंबई: पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने रविवार को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की उस टिप्पणी से असहमति जताई जिसमें उन्होंने सिंधु नदी के जल प्रवाह को रोकने की भारत की क्षमता पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लिए गए सुरक्षा संबंधी फैसलों पर सार्वजनिक रूप से बहस नहीं होनी चाहिए। 22 अप्रैल को कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसके बाद केंद्र ने पाकिस्तान को दंडित करने के लिए कई कदम उठाए, जिसमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित रखना भी शामिल है।

शंकराचार्य ने केंद्र सरकार पर साधा था निशाना
वहीं शंकराचार्य के वायरल वीडियो का जिक्र करते हुए नारायण राणे ने कहा, ‘हम उनका सम्मान करते हैं, लेकिन यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया है। देश से बड़ा कोई नहीं है।’ बता दें कि, आध्यात्मिक नेता ने दावा किया था कि भारत में सिंधु नदी के पानी को मोड़ने या बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है और उन्होंने कहा कि ऐसी सुविधाओं के निर्माण में दो दशक लग सकते हैं। वीडियो संदेश में सरस्वती ने संधि पर केंद्र के कदम को लोगों को बेवकूफ बनाने वाला बताया।

संधि के तहत भारत को विशेष अधिकार
विश्व बैंक की मध्यस्थता वाली संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों – सतलुज, ब्यास और रावी – के पानी पर विशेष अधिकार दिए गए थे, जिसका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) है। पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चिनाब – का पानी, जिसका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 135 एमएएफ है, का अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान को आवंटित किया गया था। अब संधि स्थगित होने के बाद, सरकार सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी का उपयोग करने के तरीकों पर विचार कर रही है।

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