‘शिमला समझौता अभी खत्म नहीं हुआ’, पाकिस्तान ने अपने रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के दावे से बनाई दूरी

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने अपने रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के उस बयान से किनारा कर लिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि 1972 का शिमला समझौता अब एक मृत दस्तावेज बन चुका है। अब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत के साथ किसी भी द्विपक्षीय समझौते को रद्द करने का कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है। मामले में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, ‘हाल की घटनाओं के कारण आंतरिक चर्चा ज़रूर चल रही है, लेकिन किसी समझौते को रद्द करने जैसा कोई फैसला नहीं हुआ है। शिमला समझौता सहित सभी द्विपक्षीय समझौते फिलहाल प्रभावी हैं।’
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का विवादास्पद बयान
5 जून को एक टीवी इंटरव्यू में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि, ‘भारत की एकतरफा कार्रवाइयों, खासतौर पर 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद, शिमला समझौता अब अप्रासंगिक हो गया है। यह अब एक मृत दस्तावेज है। हम 1948 की स्थिति पर लौट आए हैं, जब संयुक्त राष्ट्र ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) को संघर्षविराम रेखा घोषित किया था।’
आसिफ ने आगे यह भी कहा कि, ‘सिंधु जल संधि का क्या होगा, वो अलग मुद्दा है, लेकिन शिमला समझौता तो पहले ही खत्म हो चुका है। अब भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना होगा क्योंकि द्विपक्षीय बातचीत का ढांचा टूट चुका है।’
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने दी सफाई
हालांकि, उनके इस बयान के बाद तुरंत ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह मंत्री का व्यक्तिगत नजरिया हो सकता है, सरकारी नीति नहीं। इस बयान ने पाकिस्तान में भी हलचल मचा दी थी, और कई विश्लेषकों ने इसे बिना सोचे-समझे बोल देने वाला बयान कहा है।
क्या है शिमला समझौता?
1972 में भारत-पाक युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के ज़ुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौता हुआ था। इस समझौते के मुख्य बिंदु थे। जिसमें सभी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से, द्विपक्षीय बातचीत के जरिये सुलझाया जाएगा। किसी तीसरे पक्ष को नहीं जोड़ा जाएगा (यानी न संयुक्त राष्ट्र और न कोई अन्य देश)। जबकि नियंत्रण रेखा (एलओसी) को एक अंतरिम सीमा के रूप में स्वीकार किया जाएगा।